गुरुत्वाकर्षण की खोज, सिद्धांत और परिभाषा


गुरुर्त्वाकर्षण की खोज-  

 गुरुत्वाकर्षण की खोज सर्वप्रथम आइजक न्यूटन ने 1666 में की थी। एक प्रसिद्ध कहानी के अनुसार, Newton एक सेब के पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे तभी अचानक से उनके सर पर एक सेब गिरा तभी उनके मन में एक ख्याल आया की ये सेब आखिर नीचे ही क्यों गिरा ऊपर क्यों नहीं गया, और फिर उन्होने इस पर गहन अध्ययन किया और गुरुत्वाकर्षण की खोज। उन्होने अपनी पुस्तक प्रिंसिपीय (1687) में गुरुत्वाकर्षण का नियम प्रस्तुत किया, और उन्होने बताया की हर वस्तु चाहे वो पृथ्वी पर हो या ब्रह्मांड में एक गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव करती है।

इससे पहले गुरुत्वाकर्षण पर गैलीलियो ने भी अध्ययन किया था और उन्होने सिध्द किया की निर्वात में सभी वस्तुए एक ही दर से गिरती हैं, चाहे उनका द्रव्यमान कुछ भी हो। उनका यह सिद्धांत न्यूटन के लिए काफी मददगार साबित हुआ। 

अल्बर्ट आइंस्टीन ने 20वी सदी (1907 से 1915) में गुरुत्वाकर्षण के बारे में एक और महत्वपूर्ण सिद्धांत कि खोज जिसे सापेक्षता का सिद्धांत कहते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, दो पिंडो के बीच गुरुत्वाकर्षण बल पूरी तरह से उनके द्रव्यमान और दोनों पिंडो के बीच की दूरी पर निर्भर करता है। 

Newton ने  गति के नियमो की भी खोज कि और बताया की गति के तीन नियम होते हैं। 

गुरुत्वाकर्षण बल की परिभाषा- 

किन्हीं दो पिंडो के बीच लगने वाला आकर्षण बल को ही गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। 
या किन्हीं दो पिंडो के बीच लगने वाला आकर्षण बल उनके द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती और इनके बीच के दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमनुपाती होता है। 

F=Gm1×m2r2
जहाँ: 
  • F = गुरुत्वाकर्षण बल 
  • G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक (6.674×1011Nm2/kg2)
  • m = दोनों वस्तु का द्रव्यमान 
  • r = दोनो वस्तुओं के केंद्रो के बीच की दूरी 




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